अपराधबोध से बाहर निकलने का सबसे कठिन दौर यह समझना होता है कि हम माफी पाने के काबिल हैं। अब तक जो कहानियां बताई गई हैं, वो हमें मदद देने के लिए हैं, लेकिन आखिरी कदम हमें अकेले ही उठाना होता है।
जब वह लड़का छोटा था, तो एक बार वह अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ एक घाट पर खेल रहा था। मजाक करने के लिए उसने अपने दोस्त को पानी में धक्का दे दिया। और वह दोस्त डूबकर मर गया।
कई सालों तक उस लड़के ने गहरी गिल्ट महसूस की। उसके डूबे हुए दोस्त के माता-पिता उसके पास वाले घर में रहते थे। वह हमेशा यही सोचता था कि उसने उन लोगों को उनके बेटे से वंचित कर दिया। फिर एक सुबह, जैसा उसने मुझे बताया, उसे यह एहसास हुआ कि अब उसे गिल्ट महसूस करने की कोई जरूरत नहीं है। और फिर उसने अपने ही जेल से बाहर निकलकर स्वतंत्रता की गर्म हवा में सांस ली।