जब अहं छोड़ देते हैं, तब कोई तुम्हें नीचा नहीं दिखा सकता। अगर कोई तुम्हें “मूर्ख” कह दे और तुम चिढ़ जाओ, तो शायद इसलिए कि कहीं न कहीं तुम्हें लगता है कि वो सही कह रहा है!
कुछ साल पहले, पर्थ की एक चौड़ी सड़क पर मैं कार में जा रहा था। तभी कुछ नौजवान एक पुरानी कार में बगल से गुज़रे और मेरी खिड़की की ओर झुक कर चिल्लाने लगे, “अरे गंजे! ओए! स्किनहेड!”
वे मुझे चिढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। मैंने भी खिड़की नीचे की और हँसते हुए जवाब दिया, “बाल कटवा लो! क्या लड़कियाँ बन रखी हैं सब!”
शायद ऐसा नहीं कहना चाहिए था… बस फिर क्या था, और भी उत्साहित हो गए।
अब उन्होंने अपनी कार मेरी कार के बराबर में लाई, और एक मैगज़ीन निकाल कर ज़ोर-ज़ोर से इशारे करने लगे कि मैं उसमें छपी तस्वीरें देखूँ। वो Playboy थी।
मैं उनकी नादान शरारत पर हँस पड़ा। जब मैं भी उनकी उम्र में था और दोस्तों के साथ मस्ती करता था, तो शायद कुछ ऐसा ही करता। मुझे हँसते देख, वो भी मुस्कराते हुए आगे निकल गए। गुस्सा खाने से बेहतर है हँसी में बात टाल देना।
और हाँ, मैंने क्या Playboy की तस्वीरें देखीं? बिलकुल नहीं! मैं एक सधा हुआ ब्रह्मचारी भिक्षु हूँ।
तो फिर मुझे कैसे पता चला कि वो Playboy थी? क्योंकि ड्राइवर ने बताया था। और बस — यही कहानी है, और मैं इसी पर कायम हूँ!