नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा-सम्बुद्धस्स

शीघ्र (१० मिनिट) | लघु (३० मिनिट) | दीर्घ (६० मिनिट+)

आनापान

आनापान शीघ्र

( १० चरण — १० मिनट )

जहाँ भी हों, शांति से बैठ जाएँ। पीठ, गर्दन और सिर को सीधा रखें। शरीर सहज हो, मन शांत।


(१)

गहरी और लंबी १० साँसें लें, और धीरे-धीरे छोड़ें।


हर साँस का आना-जाना स्पष्टता से पता चलें।

(२)

लंबी साँस के साथ पेट का फूलना-सिकुड़ना अनुभव करें।


यदि स्पष्ट न लगे, तो एक हाथ पेट पर रखें और 'फूलना-सिकुड़ना' महसूस करें। जब अनुभूति स्पष्ट हो जाए, हाथ हटा लें।

(३)

अब सांस को स्वाभाविक होने दें।
ध्यान दें—साँस आ रही है या जा रही है?


यदि स्पष्ट न हो, तो कुछ साँसें लंबी लेकर पता करें। फिर सामान्य कर पता करें।

(४)

अब पूरी देह को थोड़ा ढीला छोड़ें।
राहत से श्वास लें—उसका आना-जाना पता करें।


राहत से साँस लेने पर उसकी लंबाई और गहराई बदलती है—उसे होने दें। आप केवल साक्षी रहकर उनका आना-जाना पता करते रहें।
🔔 अब आगे के चरणों में, हम साँस के साथ शरीर के भीतरी हिस्सों में सुकून और विश्रांति भरते हुए उतरेंगे।

(५)

ध्यान पेट और छाती पर केंद्रित करें। देखें—श्वास लेते समय वहाँ कैसा अनुभव होता है? फ़िर ऐसे साँस लें कि वहाँ राहत पहुँचे।


गहराई से श्वास लें और तनाव को श्वास के साथ बाहर बहने दें। वहाँ राहत और सुकून भरते रहें।

(६)

अब गला और सिर ध्यान में लाएँ। श्वास के साथ वहाँ का अनुभव जानें। फिर ऐसी साँस लें कि वहाँ भी हलकापन और राहत आए।


सिर को जैसे श्वास से धो रहे हों, वैसी भावना लाएँ। तनाव निकलने दें।

(७)

अब ध्यान गर्दन, कंधे, भुजाओं और हथेलियों पर ले जाएँ। जानें—कहाँ तनाव है? फिर ऐसे साँस लें जैसे वह तनाव बाहर निकल रहा हो।


बाएँ और दाएँ हिस्से की तुलना करें—जहाँ अधिक कसाव हो, वहाँ और कोमलता से साँस पहुँचाएँ।

(८)

अब पीठ, कमर, नितम्ब और पैरों की ओर ध्यान ले जाएँ। देखिए—कहाँ कैसी अनुभूति है? फिर ऐसे साँस लें कि पूरे निचले शरीर में विश्रांति भर जाए।


पैरों के तलवों तक साँस की ऊर्जा पहुँचती हुई कल्पना करें। सारा तनाव जैसे धरती में उतर रहा हो।

(९)

अब पूरे शरीर को एक इकाई की तरह अनुभव करें। लंबी और गहरी साँस लें—ऐसी कि पूरा शरीर जुड़ता हुआ महसूस हो।


हर श्वास को लंबा और गहरा बनाए रखें। उनके साथ शरीर के कोने-कोने में जीवनदायिनी ऊर्जा बहती हो—ऐसा अनुभव करें।

(१०)

अब श्वास को स्वाभाविक होने दें। और हर साँस के साथ शरीर को सूक्ष्म रूप से खुलते हुए, हल्का और तनावमुक्त होते हुए महसूस करें।


शरीर अनजाने में पकड़े हुए तनाव को अब छोड़ता जा रहा है। जैसे-जैसे वह छूटता है, चित्त शांत, प्रसन्न और एकाग्र होता जाता है।

प्रस्ताव: 🔔 रोज सुबह उठते ही और रात्रि में सोने से पहले यह १० मिनट का अभ्यास करें। कुछ ही दिनों में इसके अप्रत्याशित लाभ अनुभव होने लगेंगे।