भिक्षु बनने से पहले मैं एक वैज्ञानिक था। मैंने इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में सैद्धांतिक भौतिकी की ज़ेन-जैसी दुनिया को खोजा। मैंने पाया कि विज्ञान और धर्म, इन दोनों में कई चीजें समान हैं—उनमें से एक है ‘कट्टरता’ या ‘हठधर्मिता’। मुझे अपने छात्र जीवन की एक मज़ेदार कहावत याद है: “किसी महान वैज्ञानिक की प्रतिष्ठा इस बात से मापी जाती है कि उसने अपने क्षेत्र में प्रगति को कितने समय तक रोके रखा!”
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में विज्ञान और धर्म के बीच एक बहस हुई, जिसमें मैं भी एक वक्ता था। वहाँ एक महिला दर्शक ने मुझसे एक भावुक प्रश्न पूछा: “जब मैं दूरबीन से तारों की सुंदरता को देखती हूँ,” उस कट्टर कैथोलिक महिला ने कहा, “तो मुझे हमेशा लगता है कि मेरा धर्म खतरे में है।”
मैंने उत्तर दिया, “मैडम, जब कोई वैज्ञानिक दूरबीन के उल्टे सिरे से देखता है—यानि बड़े सिरे से छोटे सिरे की ओर—और उस व्यक्ति को देखता है जो देख रहा है, तब विज्ञान खतरे में पड़ जाता है!”