कुछ साल पहले अमेरिका के एक प्रसिद्ध बिजनेस स्कूल में, एक प्रोफेसर ने अपनी ग्रेजुएट क्लास को सामाजिक अर्थशास्त्र पर एक असाधारण व्याख्यान दिया। बिना बताए कि वह क्या कर रहे हैं, प्रोफेसर ने अपनी मेज़ पर सावधानी से एक कांच का जार रखा। फिर छात्रों के सामने उन्होंने पत्थरों से भरा एक थैला निकाला और एक-एक करके बड़े पत्थर उस जार में तब तक डाले जब तक उसमें और कोई पत्थर समा न सका। फिर उन्होंने छात्रों से पूछा, “क्या जार अब पूरा भर गया है?”
“हाँ,” छात्रों ने उत्तर दिया।
प्रोफेसर मुस्कराए। उन्होंने मेज़ के नीचे से दूसरा थैला निकाला, जो कंकड़ यानी छोटे पत्थरों से भरा हुआ था। फिर उन्होंने वो कंकड़ जार में डाले और उन्हें झटका देकर बड़े पत्थरों के बीच की जगहों में समा दिया। फिर से उन्होंने पूछा, “अब क्या जार पूरा भर गया है?”
“नहीं,” छात्रों ने उत्तर दिया। अब वे उनकी तरकीब समझ चुके थे।
वे सही थे, क्योंकि प्रोफेसर ने अब बारीक रेत से भरा थैला निकाला। उन्होंने वह रेत जार में डाली और वह भी बड़े पत्थरों और कंकड़ों के बीच की खाली जगहों में समा गई। एक बार फिर उन्होंने पूछा, “क्या अब जार भर गया है?”
“शायद नहीं, प्रोफेसर, आपको जानकर तो नहीं ही होगा,” छात्रों ने जवाब दिया।
प्रोफेसर उनके उत्तर पर मुस्कराए और फिर एक छोटा जग निकाला, जिसमें पानी था। उन्होंने वह पानी भी जार में डाला, जो रेत और पत्थरों के बीच के छोटे-छोटे खाली स्थानों में भर गया। जब और पानी समा नहीं सका, तब उन्होंने जग नीचे रखा और अपनी क्लास की ओर देखा।
“तो, इससे तुम्हें क्या सिखने को मिला?” उन्होंने छात्रों से पूछा।
“कि चाहे आपकी दिनचर्या कितनी भी व्यस्त क्यों न हो,” एक छात्र ने उत्तर दिया, “आप उसमें हमेशा कुछ और फिट कर सकते हैं!” आखिरकार यह एक प्रसिद्ध बिजनेस स्कूल था।
“नहीं!” प्रोफेसर ने ज़ोर से कहा। “इसका मतलब यह है कि अगर तुम बड़े पत्थरों को पहले नहीं डालोगे, तो वे कभी भी अंदर नहीं जा पाएँगे।”
यह प्राथमिकताओं का एक पाठ था।
तो, तुम्हारे “जार” में वे “बड़े पत्थर” क्या हैं? वे कौन-सी चीज़ें हैं जिन्हें तुम्हें अपने जीवन में सबसे पहले जगह देनी चाहिए? कृपया सुनिश्चित करें कि आप सबसे पहले अपने “कीमती पत्थर”—अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ें—समय में रखें। वरना हो सकता है वे कभी भी उसमें समा ही न सकें।