मेरा पहला वर्ष जब मैं उत्तर-पूर्व थाईलैंड में भिक्षु बना, उसी समय वियतनाम युद्ध का आख़िरी साल चल रहा था। अजान चा के विहार के पास ही उबोन शहर के पास एक अमेरिकन वायुसेना का अड्डा था। अजान चा को ये सच्ची घटना सुनाना बहुत पसंद था – खासकर ये बताने के लिए कि अपमान को कैसे संभालें।
एक बार एक अमेरिकी सैनिक उस अड्डे से शहर की ओर जा रहा था एक रिक्शे में बैठकर। रास्ते में एक सड़क किनारे बार पड़ा था, जहाँ रिक्शावाले के कुछ दोस्त पहले से ही जमकर पी चुके थे।
जैसे ही वे लोग गुज़रे, वो नशे में चिल्लाए – “ए! कहाँ ले जा रहा है उस गंदे कुत्ते को?” और फिर जोर से हँसने लगे, अमेरिकी सैनिक की ओर इशारा करते हुए।
रिक्शावाला एक पल को घबरा गया। वो जानता था कि ऐसा कुछ भी किसी बड़े विदेशी को कह दो, तो झगड़ा तय है। थाईलैंड में किसी को “गंदा कुत्ता” कहना मतलब सीधा लड़ाई की दावत देना।
मगर हैरानी की बात – वो भारी-भरकम सैनिक तो बड़े शांत भाव से चारों तरफ़ देख रहा था, पेड़ों और खेतों की सुंदरता में खोया हुआ। उसे तो लग ही नहीं रहा था कि कोई उसे गाली दे रहा है। साफ़ था – उसे थाई भाषा आती ही नहीं थी।
और इस तरह, उस दिन असली मुस्कान उसी “गंदे कुत्ते” के चेहरे पर थी… जो समझा ही नहीं कि हँसी किस पर हो रही है!