आपको केवल ‘अपनी’ भावनाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए, क्योंकि ‘स्वयं’ पर विजय प्राप्त करना दूसरों पर विजय पाने से कहीं अधिक मूल्यवान है। अपने मन को संयमित करें, खुद को सुरक्षित रखें और इसी मार्ग से सच्ची खुशी प्राप्त करें। जो व्यक्ति आत्म-नियंत्रण और संयमित आचरण में स्थित होता है, उसे कोई भी पराजित नहीं कर सकता, चाहे वह कोई देवता हो या ब्रह्मा।
दूसरों को रोकने या बदलने की कोशिश न करें, बल्कि स्वयं को नियंत्रित करें। यदि आप लालच, घृणा और भ्रम में फँसे रहते हैं, तो आप कभी भी सच्ची जीत हासिल नहीं कर पाएंगे। लेकिन यदि आप अपने मन पर विजय पा लेते हैं, तो यह मार को परास्त करने का उपाय है और इसी से परमसुख की प्राप्ति होती है।
यदि आप बुद्ध धम्म का पालन करते हैं और निर्वाण को अपना लक्ष्य बनाते हैं, तो मार आपसे निराश हो जाएगा। वह आपका शत्रु बन सकता है, लेकिन वह आपको हरा नहीं पाएगा। बुद्ध की शिक्षाओं के अतिरिक्त कोई भी शिक्षा निर्वाण की ओर नहीं ले जाती। बुद्ध के उपदेश त्रिपिटक में उपलब्ध हैं, इसलिए हर किसी को त्रिपिटक का अध्ययन करना चाहिए।
वासना, इच्छा और आकर्षण को त्यागना अत्यंत आवश्यक है। इसे केवल किताबें पढ़कर या दूसरों की बातें सुनकर नहीं छोड़ा जा सकता। वास्तविक ज्ञान स्वयं प्राप्त करना पड़ता है। जैसे राख में अगर आग नहीं हो, तो उसे जलाया नहीं जा सकता, उसी तरह यदि भीतर ज्ञान नहीं है, तो कोई भी उपदेश कारगर नहीं होगा। इसलिए, केवल त्रिपिटक का अध्ययन ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि स्वयं समझने और अनुभूति करने की क्षमता भी विकसित करनी होगी।
समय व्यर्थ न करें। इसी जीवन में निर्वाण प्राप्त करने का प्रयास करें। सभी प्राणियों को सुख मिले और वे दुखों से मुक्त हों।
— पूज्य 'बनभंते' साधनानन्द महाथेर
राजबन विहार,
रंगमती-४५००, बांग्लादेश।