नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा-सम्बुद्धस्स
मज्झिमनिकाय

१–५० | ५१–१०० | १०१-१५२

मध्यम निकाय

‘मध्यम निकाय’ पालि साहित्य का अत्यंत महत्वपूर्ण संग्रह है, जिसमें मध्यम लंबाई के कुल १५२ सूत्र शामिल हैं। यह संग्रह साधकों के बीच सबसे लोकप्रिय और उपयोगी माना जाता है। मध्यम निकाय के सूत्र स्पष्ट, संक्षिप्त और विषय-वस्तु पर केंद्रित रहते हैं। इसे पञ्चनिकाय में सबसे रोचक और ज्ञानवर्धक निकाय माना जा सकता है।

इनमें भगवान बुद्ध द्वारा दी गई विभिन्न साधना-संबंधी शिक्षाएँ सरल और सीधी भाषा में प्रस्तुत की गई हैं। कुछ सूत्रों की देशना प्रसिद्ध भिक्षुओं द्वारा दी गई है, और कई में उनके बीच हुई गहन चर्चाएँ भी शामिल हैं। कुछ सूत्रों में जातक कथाएँ भी देखने को मिलती हैं।

उन्हें तीन वर्गों में रखा गया है — मूलपण्णास | मज्झिमपण्णास | उपरिपण्णास

मूलपण्णास

📜 १. मूलपरियाय सुत्त

इस निकाय के पहले ही धमाकेदार सूत्र को सुनकर कोई खुश नहीं हुआ! “क्या ब्रह्मांड का कोई मूल या जड़ है?” भगवान का उत्तर!

📜 २. सब्बासव सुत्त

सभी आस्रवों को खत्म करने के कुल सात उपाय!

📜 ३. धम्मदायाद सुत्त

भगवान बुद्ध के सच्चे वारिस कौन हैं? भगवान के द्वारा बताने पर सारिपुत्त भंते भी उसे और उजागर करते हैं।

📜 ४. भयभेरव सुत्त

बोधिसत्व ने जंगल में अकेले रहकर डर और आतंक का सामना करते हुए संबोधि कैसे पायी?

📜 ५. अनङ्गण सुत्त

सारिपुत्त भंते यादगार उपमाओं के साथ चित्त के दाग-धब्बों का रहस्य खोलते हैं।

📜 ६. आकङ्खेय्य सुत्त

“अपनी इच्छा-आकांक्षाओं को पूरा कैसे करें?” भगवान बताते हैं।

📜 ७. वत्थ सुत्त

मैले चित्त को धोना किसी मैले वस्त्र को धोने के समान ही है। बस जान लें कि “मैल” क्या हैं।

📜 ८. सल्लेख सुत्त

भगवान बताते हैं कि साधक को, सुख और शान्ति में रमने के बजाय, अपने क्लेशों को ‘घिस-घिसकर मिटाने’ की तपश्चर्या करनी चाहिए।

📜 ९. सम्मादिट्ठी सुत्त

सारिपुत्त भंते सम्यक दृष्टि को अनोखे अंदाज में परिभाषित करते हैं।

📜 १०. महासतिपट्ठान सुत्त

इस लोकप्रिय सूत्र में स्मृति स्थापित करने की विधि विस्तार से बतायी गयी है।

📜 ११. चूळसीहनाद सुत्त

भगवान प्रेरित करते हैं कि उनके शिष्य जाकर दूसरे संन्यासियों के सामने दहाड़े।

📜 १२. महासीहनाद सुत्त

एक पूर्व शिष्य द्वारा निंदा होने पर, भगवान ऐसा उत्तर देते हैं कि सुनने वाले के रोंगटे खड़े हो जाए।

📜 १३. महादुक्खक्खन्ध सुत्त

परधर्मी घुमक्कड़ों को लगता हैं कि उनका और बुद्ध का धर्म एक जैसा ही है। तब, भगवान ऐसा धर्म बताते हैं, जो उनके लिए ‘आउट ऑफ सिलेबस’ हो।

📜 १४. चूळदुक्खक्खन्ध सुत्त

भगवान अपने चचेरे भाई को कामुकता के बारे में बताते हैं। साथ ही, जैन साधकों से हुए वार्तालाप का उल्लेख भी करते हैं।

📜 १५. अनुमान सुत्त

महामोग्गल्लान भंते अपने भिक्षु साथियों को दुर्वचो और सुवचो पर व्यावहारिक मार्गदर्शन देते हैं।

📜 १६. चेतोखिल सुत्त

यहाँ भगवान चित्त की बंजरता और उसके जंजीरों के बारे में अवगत कराते हैं।

📜 १७. वनपत्थ सुत्त

यहाँ भगवान एक अत्यंत व्यावहारिक बात बताते हैं — हमें कहाँ रहना चाहिए, और कहाँ नहीं।

📜 १८. मधुपिण्डिक सुत्त

भगवान के मुख से निकला प्रपंच पर एक अत्यंत सारगर्भित और संक्षिप्त धर्म। लेकिन उसका अर्थ कौन बताए?

📜 १९. द्वेधावितक्क सुत्त

अपने विचारों से कैसे निपटें? और उन्हें लाँघकर संबोधि कैसे पाएँ? प्रस्तुत हैं, बोधिसत्व का व्यावहारिक तरीका।

📜 २०. वितक्कसण्ठान सुत्त

अपने बुरे विचारों को अच्छाई की तरफ कैसे मोड़ें? यादगार उपमाओं के साथ पाँच तरीके सुनें।

📜 २१. ककचूपम सुत्त

आलोचना कैसे झेलें? भगवान जीवंत और यादगार उपमाओं के साथ बताते हैं।

📜 २२. अलगद्दूपम सुत्त

एक भिक्षु अपनी पापी धारणा बनाता है। तब भगवान प्रसिद्ध उपमाओं के साथ अत्यंत गहरा धर्म बताते हैं।

📜 २३. वम्मिक सुत्त

एक देवता आकर भिक्षु को रहस्यमयी पहेलियाँ देता है, जिसका समाधान भगवान करते हैं।

📜 २४. रथविनीत सुत्त

दो प्रतिभाशाली अरहंत भिक्षु, आपस में धर्मचर्चा करते हुए, विशुद्धिमार्ग के चरणों को उजागर करते हैं।

📜 २५. निवाप सुत्त

मार के चारे से कौन-से साधक बच सकते हैं? हिरणों की उपमा से भगवान समझाते हैं।

📜 २६. पासरासि सुत्त

दुनिया के सभी लोग, दरअसल, दो तरह की खोज में जुटे हैं। भगवान विस्तार से स्वयं की खोज भी बताते हैं।

📜 २७. चूळहत्थिपदोपम सुत्त

क्या हमें श्रद्धा से तुरंत मान लेना चाहिए? भगवान यहाँ उपमा देकर हमें सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।

📜 २८. महाहत्थिपदोपम सुत्त

सारिपुत्त भंते धर्म के तमाम प्रमुख सिद्धान्तों को चार आर्य सत्यों में पिरो देते हैं।

📜 २९. महासारोपम सुत्त

भगवान ब्रह्मचर्य का सार बताते हैं, साथ ही उसके बाहरी छिलकों को भी उजागर करते हैं।

📜 ३०. चूळसारोपम सुत्त

यह पिछले सूत्र की तरह ही ब्रह्मचर्य का सार बताता है, लेकिन अंतिम भाग में मिलावट नजर आती है।

📜 ३१. चूळगोसिङ्ग सुत्त

कलह के समय, भगवान उन तीन भिक्षुओं से मिलते हैं जो स्नेहपूर्वक वन में साधनारत हैं।

📜 ३२. महागोसिङ्ग सुत्त

‘किस तरह का भिक्षु शानदार गोसिङ्ग वन की शोभा होगा?’ प्रसिद्ध भिक्षुओं का अलग-अलग उत्तर।

📜 ३३. महागोपालक सुत्त

यहाँ भगवान एक चरवाहे के गुणों की उपमा देकर भिक्षुओं को सारगर्भित धर्म बताते हैं।

📜 ३४. चूळगोपालक सुत्त

यहाँ भगवान एक यादगार उपमा के साथ हमें पार आने के लिए पुकारते हैं।

📜 ३५. चूळसच्चक सुत्त

एक प्रसिद्ध अहंकारी बहसबाज, सरेआम भगवान से वाद-विवाद में भिड़ता है।

📜 ३६. महासच्चक सुत्त

📜 ३७. चूळतण्हासङ्खय सुत्त

📜 ३८. महातण्हासङ्खय सुत्त

📜 ३९. महास्सपुर सुत्त

📜 ४०. चूळस्सपुर सुत्त

📜 ४१. सालेय्यक सुत्त

📜 ४२. वेरञ्जक सुत्त

📜 ४३. महावेदल्ल सुत्त

📜 ४४. चूळवेदल्ल सुत्त

📜 ४५. चूळधम्मसमादान सुत्त

📜 ४६. महाधम्मसमादान सुत्त

📜 ४७. वीमंसक सुत्त

📜 ४८. कोसम्बिय सुत्त

📜 ४९. ब्रह्मनिमन्तनिक सुत्त

📜 ५०. मारतज्‍जनीय सुत्त

मज्झिमपण्णास

📜 ५१. कन्दरक सुत्त

📜 ५२. अट्ठकनागर सुत्त

📜 ५३. सेख सुत्त

📜 ५४. पोतलिय सुत्त

📜 ५५. जीवक सुत्त

📜 ५६. उपालि सुत्त

📜 ५७. कुक्कुरवतिक सुत्त

📜 ५८. अभयराजकुमार सुत्त

📜 ५९. बहुवेदनीय सुत्त

📜 ६०. अपण्णक सुत्त

📜 ६१. अम्बलट्ठिकराहुलोवाद सुत्त

📜 ६२. महाराहुलोवाद सुत्त

📜 ६३. चूळमालुक्य सुत्त

📜 ६४. महामालुक्य सुत्त

📜 ६५. भद्दालि सुत्त

📜 ६६. लटुकिकोपम सुत्त

📜 ६७. चातुम सुत्त

📜 ६८. नळकपान सुत्त

📜 ६९. गोलियानि सुत्त

📜 ७०. कीटागिरि सुत्त

📜 ७१. तेविज्जवच्छ सुत्त

📜 ७२. अग्गिवच्छ सुत्त

📜 ७३. महावच्छ सुत्त

📜 ७४. दीघनख सुत्त

📜 ७५. मागण्डिय सुत्त

📜 ७६. सन्दक सुत्त

📜 ७७. महासकुलुदायि सुत्त

📜 ७८. समणमुण्डिक सुत्त

📜 ७९. चूळसकुलुदायि सुत्त

📜 ८०. वेखनस सुत्त

📜 ८१. घटिकार सुत्त

📜 ८२. रट्ठपाल सुत्त

📜 ८३. मघदेव सुत्त

📜 ८४. मधुर सुत्त

📜 ८५. बोधिराजकुमार सुत्त

📜 ८६. अङ्गुलिमाल सुत्त

📜 ८७. पियजातिक सुत्त

📜 ८८. बाहितिक सुत्त

📜 ८९. धम्मचेतिय सुत्त

📜 ९०. कण्णकत्थल सुत्त

📜 ९१. ब्रह्मायु सुत्त

📜 ९२. सेल सुत्त

📜 ९३. अस्सलायन सुत्त

📜 ९४. घोटमुख सुत्त

📜 ९५. चङ्की सुत्त

📜 ९६. एसुकारी सुत्त

📜 ९७. धनञ्जानि सुत्त

📜 ९८. वासेट्ठ सुत्त

📜 ९९. सुभ सुत्त

📜 १००. सङ्गारव सुत्त

उपरिपण्णास

📜 १०१. देवदह सुत्त

📜 १०२. पञ्चत्तय सुत्त

📜 १०३. किन्ति सुत्त

📜 १०४. सामगाम सुत्त

📜 १०५. सुनक्खत्त सुत्त

📜 १०६. आनेञ्जसप्पाय सुत्त

📜 १०७. गणकमोग्गल्लान सुत्त

📜 १०८. गोपकमोग्गल्लान सुत्त

📜 १०९. महापुण्णम सुत्त

📜 ११०. चूळपुण्णम सुत्त

📜 १११. अनुपद सुत्त

📜 ११२. छब्बिसोधन सुत्त

📜 ११३. सप्पुरिस सुत्त

📜 ११४. सेवितब्बासेवितब्ब सुत्त

📜 ११५. बहुधातुक सुत्त

📜 ११६. इसिगिलि सुत्त

📜 ११७. महाचत्तारीसक सुत्त

📜 ११८. आनापानस्सति सुत्त

📜 ११९. कायगतासति सुत्त

📜 १२०. सङ्खारुपपत्ति सुत्त

📜 १२१. चूळसुञ्ञत सुत्त

📜 १२२. महासुञ्ञत सुत्त

📜 १२३. अच्छरियब्भुत सुत्त

📜 १२४. बाकुल सुत्त

📜 १२५. दन्तभूमि सुत्त

📜 १२६. भूमिज सुत्त

📜 १२७. अनुरुद्ध सुत्त

📜 १२८. उपक्किलेस सुत्त

📜 १२९. बालपण्डित सुत्त

📜 १३०. देवदूत सुत्त

📜 १३१. भद्देकरत्त सुत्त

📜 १३२. आनन्दभद्देकरत्त सुत्त

📜 १३३. महाकच्चानभद्देकरत्त सुत्त

📜 १३४. लोमसकङ्गियभद्देकरत्त सुत्त

📜 १३५. चूळकम्मविभङ्ग सुत्त

📜 १३६. महाकम्मविभङ्ग सुत्त

📜 १३७. सळायतनविभङ्ग सुत्त

📜 १३८. उद्देसविभङ्ग सुत्त

📜 १३९. अरणविभङ्ग सुत्त

📜 १४०. धातुविभङ्ग सुत्त

📜 १४१. सच्चविभङ्ग सुत्त

📜 १४२. दक्खिणाविभङ्ग सुत्त

📜 १४३. अनाथपिण्डिकोवाद सुत्त

📜 १४४. छन्नोवाद सुत्त

📜 १४५. पुण्णोवाद सुत्त

📜 १४६. नन्दकोवाद सुत्त

📜 १४७. चूळराहुलोवाद सुत्त

📜 १४८. छछक्क सुत्त

📜 १४९. महासळायतनिक सुत्त

📜 १५०. नगरविन्देय्य सुत्त

📜 १५१. पिण्डपातपारिसुद्धि सुत्त

📜 १५२. इन्द्रियभावना सुत्त